Brahmacharya Motivation वीर्य है तो जीवन है वीर्य नहीं तो कुछ नहीं। मेरी हिम्मत तो नहीं हो रही थी ये लिखने की, क्योंकि आज की हमारी पढ़ी लिखी मॉडर्न पीढ़ी को ब्रह्मचर्य मजाक लगता है। लेकिन फिर जब मैंने ये वाक्य लिखने से पहले इतिहास खोदना शुरू किया तो मेरे सामने ऐसे कई महात्मा और महापुरुष आए जिनके अखंड ब्रह्मचर्य की शक्ति को देख के लगा की ये लाइन 100 % सही है।
भीम का पुत्र बर्बरीक, आचार्य चाणक्य, स्वामी शिवानंद, जगद्गुरु, एक सोकिंग फैक्ट सुनना चाहोगे, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन की 2019 की एक स्टडी के हिसाब से हमारे देश में 9.8 मिलियन बच्चे सीरियस मेंटल इलनेस से जूझ रहे हैं, और आप जानते हैं कि इन बच्चों की उम्र क्या है, सिर्फ 13 से 17 साल के बीच, अब आप सोच रहे होंगे कि इस रिपोर्ट को और अखंड ब्रह्मचर्य का क्या संबंध है। अखंड ब्रह्मचर्य का मतलब होता है ऐसा ब्रह्मचर्य जो कभी भी भंग ना हुआ हो, यानी कि अगर कोई ऐसा इंसान है जिसने अपनी जिंदगी में कभी भी वीर्य की एक बूंद बाहर नहीं आने दिया हो तो वो एक अखंड ब्रह्मचारी है। ऐसा माना जाता है कि 10 से 14 साल की उम्र के दौरान हमारा शरीर वीर्य बनाना शुरू करता है, लेकिन क्या होगा अगर बच्चे इस नादान उम्र में वीर्यनास करना सीख जाए, क्या आपने वो वीडियो देखी है जिसमें कम उम्र के बच्चे रोमांस करते दिखाए जाते हैं। अब अगर इस छोटी सी उम्र में हमारे घर के बच्चे ऐसी वीडियो देखने लगेंगे तो फिर अखंड ब्रह्मचर्य तो सिर्फ एक काल्पनिक शब्द बनके रह जाएगा। आजकल हमारी सोसाइटी में काफी लोग ये तो बोलते हैं कि हमारे देश में अब महापुरुष जैसे लोगों का पैदा होना बंद हो गया, लेकिन कोई ये नहीं सोचता कि हम अपने बच्चों को ब्रह्मचर्य की शिक्षा दें, उनके अंदर के महापुरुष को अपने ही हाथों से मार डाला है और जब इतनी छोटी उम्र में बच्चे वीर्यनाश करना सीख लेंगे तो फिर बात बिलकुल साफ है की आगे जाके यानी 13 से 17 साल की उम्र में यही बच्चे कई सारी मानसिक बीमारियों का शिकार बनेंगे। आज के जमाने में हमारे पास भले ही एक से बढ़के एक लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है, लेकिन फिर भी मैं कहूंगा की सदियों पहले का हमारा समाज आज की हमारी मॉडर्न सोसाइटी से कई गुना आगे था। पहले इस देश में गुरुकुल प्रथा हुआ करती थी। जैसे ही बच्चों के अंदर कामन सेंस आती थी, माँ बाप उन्हें गुरुकुल पढ़ने भेज देते थे,
इसी गुरुकुल में महाग्यानी गुरुओं के बीच बच्चों का बचपन गुजरता था और यही सबसे बड़ी वजह थी कि उन बच्चों को ब्रह्मचर्य का सही ज्ञान छोटी सी उम्र में मिल जाता था। आज आप चाहे पृथ्वीराज चौहान या महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धाओं के नाम लो या फिर समाज को सही रास्ता दिखाने वाले स्वामी विवेकानंद जी का नाम लो, ये सब के सब अपने गुरु की वजह से इतने पराक्रमी और महान बन पाए। लेकिन फिर ब्रिटिश राज़ के दौरान इंग्लिश एजुकेशन की जड़े इस देश में बोई जाने लगी, जिसका रिजल्ट ये आया की गुरुकुल और गुरु प्रथा इस देश में ऐसे गायब हो गई जैसे बरसात के बाद आकाश से बादल गायब हो जाता है। आज के हमारी युवाओं में वो ताकत नहीं है जो कभी जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह राठोर के 12 साल के बेटे पृथ्वी सिंह राठौर में थी। कहा जाता है कि एक बार औरंगजेब ने 12 साल के पृथ्वी सिंह को अपने खूंखार शेर के साथ एक पिंजरे में बंद कर दिया था। लेकिन 12 साल के पृथ्वी सिंह ने अपने हाथों से उस खूंखार शेर का मुँह फाड़ दिया जिसे देख के औरंगजेब के पसीने छूट गए थे। आज का हमारा युथ तो इतना कमज़ोर हो गया है कि सिर्फ 20 दंड बैठक लगाते ही उनके सांसे फूल जाती है। हम खा पी के सिर्फ अपना शरीर बलवान कर सकते हैं, लेकिन अगर तुम्हे स्वामी विवेकानंद जैसा आत्मविश्वास, चट्टान का सीना, चीरने वाला बल और एक सुप्रीम लेवल की ब्रेन पावर चाहिए तो ये सब सिर्फ और सिर्फ अखंड ब्रह्मचर्य से ही मिल सकता है। इतना सब सुनने के बाद अगर तुम्हे लगता है की तुम भी एक अखंड ब्रह्मचारी बनना चाहते हो, तो मैं तुम्हे बता दू की इसके लिए तुम्हे एक सही गुरु की जरूरत पड़ेगी। पर बहुत अफसोस की बात है की आज के युवाओं को एक अच्छा गुरु इतनी आसानी से नहीं मिलता। आज के हमारी ये लाइक फ़ॉलो कमेंट करने वाली जेनरेशन सिर्फ 10 सेकंड की वीडियो देख के किसी को भी मन ही मन अपना गुरु मान के फॉलो बटन दबाती है। ऐसे में ब्रह्मचर्य को सही से समझाने वाले गुरु को ढूंढना तो अमावस की रात में पूनम की चाँद ढूंढने जितना मुश्किल है।
हालांकि अगर आप में से किसी को कोई सही गुरु मिल गया है और वो उसके मार्गदर्शन में अखंड ब्रह्मचर्य के रास्ते पे चल पड़े तो आपकी ज़िन्दगी में इससे बड़ी बात कोई नहीं है। लेकिन हमारे जिन युवा दोस्तों की जिंदगी में अभी तक कोई सही गुरु नहीं आया या फिर उन्हें कोई गुरु नहीं मिला तो उन्हें घबराने की जरूरत बिल्कुल नहीं है। सिर्फ एक विश्वास की वजह से राम जी को सबरी मा के घर तक जाना पड़ा था। बस आपको भी यही विश्वास रखना है और ये विश्वास आपको रखना है राम भक्त हमारे प्यारे हनुमान जी पर, क्योंकि अगर ब्रह्मचर्य की बात करें तो उनसे बढ़कर कोई गुरु नहीं हो सकता। अब मेरी इस बात को अपने दिमाग में किल की तरफ बिठा देना। आप में से जिन लोगों को लगता है कि मेरी युवा अवस्था बर्बाद हो चुकी है, मैं गलत संगत में पड़ चुका हूं, मुझे सभी गंदी लत और आदत लग गई है और अब मेरी जिंदगी का कोई मतलब नहीं है, वो एक बार बस सब कुछ भूल के श्री राम भक्त हनुमान जी के पास चला जाए, अगर तुम्हारा ब्रह्मचर्य बर्बाद हो गया है तो कोई बात नहीं, अगर सही गुरु नहीं मिल रहा तब भी कोई बात नहीं सिर्फ बजरंग बली से कहो, कि आज से हर तरह की गन्दी लत को छोड़ना चाहता हूं बस आप मुझे मार्गदर्शन दीजिए, फिर बाकी सब पवन पुत्र संभाल लेंगे। अब यहाँ तक का वीडियो देखने के बाद आप सोच रहे होंगे अच्छा तो चलो अब हमें तो सही गुरु ढूंढना है या फिर अगर गुरु ना मिले तो हनुमान जी को गुरु मान लेना है। लेकिन दोस्तों बात यहाँ खत्म नहीं होती, आप सबको पता होगा की महाभारत के युद्ध में हनुमान जी भी थे, लेकिन शायद आपको ये नहीं पता होगा की जब अर्जुन हनुमान जी से युद्ध में उनका साथ देने की प्रार्थना करने गए थे तब हनुमान जी ने कहा था की साथ तो मैं दूंगा लेकिन मैं युद्ध नहीं करूँगा। उसके बाद हनुमान जी ने अर्जुन के रथ पे एक ध्वजा में समा के पूरे युद्ध में पांडवों का साथ दिया था। इसका मतलब समझे आप, कोरुओं की सेना ज्यादा थी उनकी सेना में एक से एक महारथी भी थे। दूसरी ओर पांडवों की सेना में श्री कृष्ण और हनुमान जी थे लेकिन फिर भी युद्ध तो पांडवों को ही करना पड़ा था, इसका मतलब ये है कि अगर आप ब्रह्मचर्य के रास्ते पे चलने के लिए हनुमान जी को अपना गुरु मान लेते हैं तो वो आपको मार्गदर्शन जरूर देंगे। लेकिन ब्रह्मचर्य के रास्ते पे चलना तो आपको पड़ेगा ही, यानी की ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन तो आपको करना है। तो चलिए अब बात करते हैं कि एक अखंड ब्रह्मचारी को कौन कौन सी चीजें करनी होती है और कौन कौन सी चीजों से दूर रहना है। ब्रह्मचारी को क्या करना चाहिए? सबसे पहली बात है अपने शरीर को शुद्ध रखना। यहाँ पे शुद्ध रखने का मतलब यह नहीं है कि आपको दिन में तीन बार नहाना है। शरीर शुद्ध रखने का मतलब है कि आपका शरीर अंदर से लेके बाहर तक शुद्ध होना चाहिए। इसके लिए आपको अपनी डाइट पे ध्यान देना होगा। सबसे पहले नॉन वेज चीजों से दूर रहना है। यह चीजें आपके शरीर में गर्मी बढ़ाती है और अगर शरीर में गर्मी बढ़ने लगी तो आपको अपने आप ही अपना वीर्यनाश करने की इच्छा होने लगेंगी। और यह इच्छा इतनी स्ट्रांग होगी कि शायद आप अपने आप को रोक भी ना पाओ और आखिर में आपके हफ्तों या फिर महीनों भर की मेहनत नाली में चली जाएगी। इसके अलावा ज्यादा तला हुआ या फिर ज्यादा मसालेदार खाना भी नहीं खाना चाहिए, जिसे हम स्पाईसी कहते हैं।
ये भी हमारे शरीर में गर्मी बढ़ाता है, और एक जरूरी बात खाने में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल बिलकुल ना करें, क्योंकि ये हमारी अंदर वाली एनर्जी को बढ़ाता है। आपने शायद ये बात कही पे सुनी होगी की शादीशुदा लोगों को प्याज और लहसुन खाना चाहिए। इससे उनकी रात वाली लाइफ की एनर्जी बढ़ती है। लेकिन दोस्तों अगर आपको एकदम शुद्ध रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना है तो प्याज और लहसुन से दूर ही रहे, क्योंकि अगर आप ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए ये दो चीजें खाएंगे तो चाहे आप मैथून करना बंद कर दें, लेकिन नाइट फॉल होने के चान्सेस बहुत है। दूसरी सबसे जरूरी बात सही वक्त पे जागना सीख जाओ, एक बहुत पुरानी कहावत है जो सोया वो खोया जो जागा वो पाया, अगर एक मामूली इंसान की बात करें तो उसके लिए सुबह सात, आठ या फिर 9 बजे उठना ठीक है, लेकिन एक ब्रह्मचारी के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठना बहुत जरूरी है। देखिए एक ब्रह्मचारी के लिए उसका मन शांत हो और फोकस तो होना बहुत जरूरी है। इसीलिए अगर आपको ब्रह्मचर्य के रास्ते पर चलना है तो ब्रह्म मुहूर्त में उठने की आदत को अपनी लाइफ का हिस्सा बना लो। ब्रह्मचारी को क्या नहीं करना चाहिए? अब ये बात सुनते हैं, आपके दिमाग में फट से ये बात आएगी की बस किसी तरह से वीर्य को बचा के रखना है, पर ये आधा सच है। पूरा सच यह है कि हमें हर उस चीज़ या हर उस इंसान से दूर रहना है जिससे हमें गंदे विचार मिलते हैं। ब्रह्मचर्य नाश सिर्फ वीर्य बहाने से नहीं होता। अगर एक सेकंड के लिए भी आपके दिमाग में कोई गलत विचार आता है तो भी आपका ब्रह्मचर्य नास हो जाता है। फिर भले ही आपने वीर्य ना बहाया हो, इसीलिए ऐसे लोगों से दूर रहो जो तुम्हें गंदी फिल्मों या गंदे वीडियो देखने के लिए ज़ोर देता है। अगर आपके मन में कोई गंदा विचार नहीं जाएगा तो फिर शायद ही कभी आपको खुद से वीर्य नाश करने की इच्छा उत्पन्न होगी। देखिए ब्रह्मचर्य एक ऐसा विषय है जिसके बारे में मैं आपको जितना भी बताऊँ कम है। सारे शास्त्र सारे वेदपुरानो में इसके बारे में बताया गया है।
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